Friday, August 14, 2015

indipendence 2015

एक और लड़ाई पूर्ण स्वतंत्रा के लियें 

बहुत कम होते हैं ऐसे लोग, जिनमे देश के लियें कुछ करगुजरने का ज़ज्बा होता है। भारत के 69 स्वतंत्रा दिवस पर ऐसे सभी योद्धाओं को सलाम, जिन्होंने देशहित में कुर्बानियाँ दी और हमें आज़ाद कराया। अब समय है स्वतंत्रा की दूसरी लड़ाई का, जिसमे भारत को विकृत मानसिकता से स्वतंत्र कराना है। गरीबी, बेरोजगारी, अपराध, अनीति, शोषण से मुक्त कराना है। हमारे वीर शहीदों को पुनः जन्म लेना होगा, अधूरी पड़ी इस लड़ाई को पूरा करना होगा। उस गर्म खून को फिर से बहना होगा, आजके युवाओं का मार्गदर्शन करना होगा।

              वर्ना Open Mentality, Secularism, Professionalism के इस दौर में हम आधुनिक तो हो जायेंगे पर अपनी भारतीयता को भुला कर किसी और संस्कृति-विचारधारा के हो जायेंगे। और ऐसा होना राष्ट्र के लियें घातक है, क्योकि हर राष्ट्र की अपनी संस्कृति-विरासत होती है जो उसका जीवन होती है। यह संस्कृति ही समाज का निर्माण करती हैं; नयी पीढ़ी का निर्माण करती है।

         अगर संस्कृति मर गयी, तो भारत में भी बच्चे अपने तलाकशुदा माँ-बाप के प्यार को तरसेंगे, बुजुर्गों को घर में बोझ समझ उन्हें बहार फ़ेंक दिया जायेगा, पति-पत्नी जीवनभर का सुन्दर वैवाहिक जीवन ना जीपाएंगे। जीवन को मुक्ति का मार्ग न समझ सिर्फ भोग का मार्ग समझा जायेगा, नारी को BOLD, Modern करने के नाम पर उसका दैहिक शोषण किया जायेगा । अवयस्क बच्चियां माँ बनेंगी और उनका role model कोई अमीर फिल्म स्टार होगी, जिनका जीवन चमक-दमक से भरा पर खोखला होता है। ग्रामीण अंचलों में प्रेम-अपनत्व नहीं शोषण और दिखावे का चलन बढ़ेगा और खेती की जगह जमीन बेच अमीर होने का रास्ता हर कोई अपनाएगा ।
 नैतिकता-प्रेम-सम्मान-अपनापन सब पुरानी बातें हो जाएँगी और मतलव से भरे रिश्तो का ही बोलबाला होगा।

           सिर्फ देशभक्त ही इन बातों की परवाह करते हैं, और बहादुरी से इनका सामना कर इन्हें परास्त करते है। पहले भी हमने किया था आजभी हमीं को करना है। सच्चे भारतीय होने का गौरवशाली जीवन जीना है। इस बार लड़ाई अपने आप से है, अपने आस-पास से है । मोर्चा संभाल समाज में कूद पड़ना हैं, किसी न किसी तरीके से समाज को सही दिशा में लाना है । सत्प्रव्र्ति संवर्धन और दुष्प्रवृत्ति उन्मूलन करना है । सिर्फ सेवा ही नहीं, संघर्ष भी करना है। और वो सबकुछ करना है जिससे हमारे राष्ट्र का मान बढे। आइयें अपना सामान्य जीवन जीते हुए एक असामान्य काम को अंजाम देते हैं, भारत का पुनर्निर्माण करते हैं ।