Tuesday, October 20, 2015

GauMata

॥ देसी भारतीय गौ, राष्ट्र के लिये वरदान है ।।   


सिर्फ भारत में पाये जाने वाली देसी गाय इतनी गुणकारी है, कि अकेले दम पर पूरे राष्ट्र का  कृषि विकास, स्वास्थ्य विकास, ईंधन आत्मनिर्भरता और पर्यावरण संरक्षण कर सकती है, हजारो करोड़ राष्ट्रिय मुद्रा बचा सकती है, समाज में अपराध कम कर सात्विकता ला सकती है।  यह कोई धार्मिक नहीं अपितु वैज्ञानिक परीक्षणों पर परखी गयी बात है।

  • गौदुग्ध को आहार शास्त्रियों ने सम्पूर्ण आहार माना है और पाया है।गाय के एक पौण्ड दूध से इतनी शक्ति मिलती है, जितनी की 4 अण्डों और 250 ग्राम मांस से भी प्राप्त नहीं होती। धरती पर केवल गौदुग्ध ही हैं जो परम सात्विक, ऊर्जावान, बुद्धिवर्धक और स्वास्थवर्धक है, उसके जैसा कोई नहीं।
  • गाय की रीढ़ में सूर्यकेतु नाड़ी होती है, जो सूर्य के संपर्क में आ कर गौदुग्ध में स्वर्ण मिला देती है। यह स्वर्ण मिला गौदुग्ध इसलिए हल्का पीला होता है।
  • गौमूत्र से लगभग 108 रोग ठीक होते हैं जैसे :  मोटापा, कैंसर, डायबिटीज, कब्ज, गैस, भूख की कमी, वातरोग, कफ, दमा, नेत्ररोग, धातुक्षीणता, स्त्रीरोग, बालरोग आदि।
  • गंदगी व महामारी फैलने पर गोबर गौमूत्र का छिडक़ाव करने से लाभ होता है।
  • देसी गाय ही ऐसा जीव है जो स्वास में ऑक्सीजन लेती  है और ऑक्सीजन ही छोड़ती   है।
  • गाय के रम्भाने से वातावरण के कीटाणु नष्ट होते हैं। सात्विक तरंगों का संचार होता है।
  • एक टोला गौघृत का हवन करने से 1 टन आक्सीजन पैदा होता है।  – वैज्ञानिक शिरोविचा, रूस
  • गाय के प्रश्वांस, गोबर गौमूत्र के गंध से वातावरण शुद्ध पवित्र होता है।
  • गाय के पास खड़े हो हाथ फेरने से कई गंभीर मनोरोग ठीक होते  हैं।
  • केवल देसी गाय के गोबर में ही  रॅडीओएक्टिव तरंगों को सोखने की शक्ति होती है। परमाणु संयंत्रों में इसका विशेष प्रयोग होता है।
  • गाय के गोबर से प्रतिवर्ष 4500 लीटर बायोगैस मिल सकता है। अगर देश के समस्त गौवंश के गोबर का बायोगैस संयंत्र में उपयोग किया जाय तो वर्तमान में ईंधन के रूप में जलाई जा रही 6 करोड़ 80 लाख टन लकउ़ी की बचत की जा सकती है। इससे लगभग 14 करोड़ वृक्ष कटने से बच सकते हैं।
  • गाय के गोबर से एक गैस निकलती है जिसे मैथेन कहते हैं और मैथेन वही गैस है जिससे आप अपने रसोई घर का सिलंडर चला सकते हैं और जरूरत पड़ने पर गाड़ी भी चला सकते हैं 4 पहियो वाली गाड़ी भी !!
  • एक स्वस्थ  गाय एक दिन मे 10 किलो गोबर देती है और ढाई से 3 लीटर मूत्र देती है ! गाय के एक किलो गोबर से 33 किलो fertilizer organic  (खाद ) बनती है जो राष्ट्र के कृषि विकास के लियें अत्यधिक लाभकारी है।
  • एक देसी को काटने से उसके मॉस, खून, खाल, हड्डी से लगभग 10000 रुपय का फायदा होता है, परन्तु यदि वही गाय जीवित रहे तो जीवन भर अपने दूध, दही, घी, मूत्र, गोबर, स्वास, से लाखो रूपये का लाभ राष्ट्र को करती रहती है। यदि दूध न भी दे तो भी गौमूत्र,गौगोबर राष्ट्र के कृषि विकास और पर्यावरण विकास के लिए परम उपयोगी है।  

यह सब लाभ होते है केवल और केवल भारत में पाये जाने वाली देसी गाय  में ना कि विदेशो वाली जर्सी-हॉलीस्टर गायों में। भारतीय देसी गाय जैसा उपयोगी जीव पूरी धरती पर दूसरा नहीं, इसलियें supreme court ने 26 अक्तूबर 2005 में यह निर्णय सुनाया कि "गाय को काटना सांविधानिक पाप है धार्मिक पाप है ! और सुप्रीम कोर्ट ने कहा गौ रक्षा करना,सर्वंधन करना देश के प्रत्येक नागरिक का सांविधानिक कर्त्तव्य है ! सरकार का तो है ही नागरिकों का भी सांविधानिक कर्तव्य है "

अब आप ही बताइएं इतने उपयोगी जीव को मात्र मॉस के लियें मारना स्वयं राष्ट्र के विकास को मारने के सामान है।

गौ संवर्धन राष्ट्रिय कर्तव्य है

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