शिक्षक, आचार्य, गुरु, सदगुरु और गुरुपूर्णिमा
शिक्षक यानि जो किसी विषय पर शिक्षा दे।आचार्य जो अपने श्रेष्ठ आचरण से शिक्षा दे ।
पहले हमारे आचार्य ही शिक्षक होते थे, अब शिक्षा व्यवसायिक है ।
गुरु जो आपको शिक्षित करने की पूरी जिम्मेदारी ले । चाहे प्यार या दंड से, आपका परिष्कार करते हुए आपको अपनी विद्या में निपुण कर दे। विषय जैसे जीवन विद्या, कला, व्याकरण, युद्ध कौशल इत्यादि ।
सदगुरु जो जन्म-जन्मांतर तक आपका मार्गदर्शन करते हैं, आपको जीवन विद्या सिखाते हैं, और जन्म-मरण के चक्र से मुक्त करा देते हैं ।
भारत के विश्वगुरु होने का कारण थे यहाँ के विश्वस्तरीय गुरु-आचार्य, जो न केवल अपनी विद्या में सिद्ध थे, अपितु अपने श्रेष्ठ आचरण से शिक्षा देते हुए शिष्य के दोषो को दूर कर उसे मेधावी-प्रतिभावान बना देते थे ।
गुरुपूर्णिमा वह पावन दिन था जिस दिन भारत को सम्पूर्ण विश्व ने अपना गुरु स्वीकार कर लिया था ।
आज यदि फिर से भारत को अपनी खोयी हुई गरिमा वापस पानी है, तो उसके लियें वही मार्ग स्वीकार करना होगा । भारतीयों को गुरु-आचार्य का व्यक्तित्व एवं चरित्र धारण करना होगा । और जब ऐसे होगा तब पुनः सम्पूर्ण विश्व में गुरुपूर्णिमा मनाई जाएगी और विश्व का गुरु भारत होगा ।
परन्तु आज गुरु-आचार्य बनाना तो छोड़ो, कोई शिष्य तक नहीं है। शिष्य बनाना जो स्वीकार करता है वह अपने जीवन की बागडोर अपने गुरु के हाथ में सौंप देता है । फिर गुरु की शिक्षा (philosophy) अनुसार अपना जीवन श्रेष्ठता से जीता है ।
कैसे जीना है, कैसे निर्णय लेना है, किस से प्यार करना है, किस से शादी करनी है, कौन दोस्त है कौन दुश्मन, जीवन की कठिनाइयों से कैसे पार पाना है; यह केवल गुरु ही हमें सही तरीके से समझा सकते हैं । और आज जब हमारा कोई गुरु है नहीं, तो हमें यह सब बताएगा कौन, फिर आपाधापी से जीते हुए हम सदा रोते-बिलखते-परेशान रहते हैं ।
मित्रों जीवन किसी न किसी को अपना गुरु अवश्य बनाइये । यदि आपको अपने आसपास कोई योग्य ज्ञानवान ईमानदार व्यक्ति नहीं मिलता है तो श्रेष्ठ पुस्तकों जैसे गीता, बाइबल, कुरान, गुरुग्रंथसाहिब किसी भी श्रेष्ठ पुस्तक को अपना गुरु मान ले और उसके शिष्य बन जाएँ। नियमित रूप से उन पुस्तकों को पढ़ें और जीवन के प्रश्नों का समाधान उनमें ढूंढें। निश्चित रूप से आपको अपना मार्गदर्शन अवश्य मिलेगा और आपके जीवन में भी गुरु-शिष्य परंपरा का श्रीगणेश हो जायेगा। युगऋषि श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लोगो को प्रकाश देती 3200 पुस्तकों का सृजन किया जो सभी मनुष्यों को गुरुतर मार्गदर्शन प्रदान करती है । www.awgp.org