युगनिर्माण का ईश्वरीय फार्मूला
गायत्री योग-तंत्र साधना + तपस्वी जीवन = आत्मनिर्माण
गायत्री योग के 4 स्तर ::
I.
आरम्भिक (Schooling) :: उपासना-स्वाध्याय-संयम-सेवा का
नियमित-निरंतर अभ्यास द्वारा श्रद्धा-प्रज्ञा-निष्ठा की
शक्ति जागृत करना
।
II.
पंचकोशीय साधना
(Degree):: पंचकोष
को शुद्ध-संतुलित-मजबूत-जागृत करना
।
III.
कुण्डलिनी साधना
(Master):: सप्त
चक्रो को शुद्ध-जागृत कर कुण्डलिनी
जागरण कर चक्र
भेदन करना ।
IV.
प्रज्ञावतार (Phd):: ईश्वर को पूर्ण
आत्मसात कर युगनिर्माण
हेतु पूर्ण अवतार
बनना ।
v
तपस्वी जीवन का अर्थ : साधना
मार्ग में आरही
सभी शारीरिक-मानसिक-भावनात्मक कष्टों को स्वेछा
से स्वीकार करना
।
आत्मनिर्माण +
लोकसेवी पुरुषार्थ = युगनिर्माण
o
जितना
अच्छा हमारा आत्मनिर्माण
होगा उतना अच्छा
हमसे युगनिर्माण होगा
।
o
जितना
अच्छी योजना एवं
साधन होंगे लोकसेवा
पुरुषार्थ के, उठना
अच्छा हमसे युगनिर्माण
होगा ।
और
सबसे महत्पूर्ण -
आत्मनिर्माण (अनेक)+लोकसेवी पुरुषार्थ (अनेक)
= पूर्ण युगनिर्माण
o
जब आत्मनिर्माण
और लोकसेवी पुरुषार्थ
सामूहिक रूप में
अनेक व्यक्तियों द्वारा
होगा, तब वह
पूर्ण युगनिर्माण के
रूप में सार्थक
होगा, धरती पर
स्वर्ग का अवतरण
होगा ।
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