युगपरिवर्तन के चक्र को अपनी आँखों से देखिये । ना मोदी ना केजरीवाल, जो अपने कथनी और करनी पर खरा उतरा, वोही जीता । पहले केजरीवाल को मौका मिला, वो जीता; उसने नादानी दिखाई तो पूरे देश में हारा । मोदी को मौका मिला, वह भी जीता; उसने अपने वादे पूरे करने में थोड़ी ढील दिखाई, वह दिल्ली में हारा । और जो पुराने राजा थे, जिन्होंने जनता से गद्दारी की, उनका पूरा पत्ता साफ़।
ईश्वर उसे हर अवसर दे रहा है, जो अपनी नियत से साफ़ हो, और जो वादे करके मुकर रहा है, उसे मुँह की भी खानी पड़ रही है।
भारत की राजनीती में युगपरिवर्तन चक्र अब स्पष्ट रूप से दिख रहा है, जाती-धर्म से ऊपर उठ कर अब शिक्षा-सुरक्षा-विकास की राजनीती चल पड़ी है । युगऋषि अनुसार अब वो दिन भी दूर नहीं जब भारत के कोने-कोने से अच्छे-सज्जन लोग राजनीती में प्रवेश करेंगे और राष्ट्र की दिशा निर्धारण करेंगे । इसी गणतंत्र से भारत को सोने की चिड़िया बनाएंगे । पैसा, जमीन और प्राकृतिक सम्पदा किसी की व्यक्तिगत पूँजी नहीं रह पायेगी; इन सबका सामाजीकरण होगा । पहले पैसे का राष्ट्रीयकरण हुआ Nationalized Banks द्वारा, जिससे सेठ-साहूकार-जमींदार-राजामहाराजा ख़त्म हुए और अब समय आएगा पैसे के सामाजीकरण का, जिससे अपराध-भ्रष्टाचार द्वारा पैसे कमाना और कालाधन, पूर्ण समाप्त होजायेगा ।
परन्तु भारत को विश्वगुरु बनाने का कार्य अध्यात्म और शिक्षा के बल पर संभव है, और वह होगा 'बौद्धिक क्रांति, नैतिक क्रांति, सामाजिक क्रांति' के आधार पर। यह जिम्मेदारी हर युगसैनिक की है, कि वो युगसंग्राम के इस विशेष समय में किसी उपाहोह-उलझन में ना रहे । जितना प्रखर हमारा आत्मनिर्माण होगा, उतना तीव्र हमसे युगनिर्माण होगा। अपने साधना-स्वाध्याय-संयम का स्तर बढ़ाएंगे और समयदान-अंशदान-श्रमदान में नियमित रहेंगे तो अपनेआप हमारा युगनिर्माण का स्तर ऊँचा उठ जायेगा । बड़ी योजना नहीं जरूरत है बड़े व्यक्तित्व की। बड़ा काम अपनेआप होता चला जायेगा । हमारे हर प्रचारात्मक-रचनात्मक कार्य का उद्देश निर्माण होना चाहियें उससे कम कुछ भी नहीं । विशेष समय में विशेष पराक्रम दिखाएँ, ईश्वर के दिव्य अनुदान पाएँ ॥
॥ ॐ शांतिः ॥
ईश्वर उसे हर अवसर दे रहा है, जो अपनी नियत से साफ़ हो, और जो वादे करके मुकर रहा है, उसे मुँह की भी खानी पड़ रही है।
भारत की राजनीती में युगपरिवर्तन चक्र अब स्पष्ट रूप से दिख रहा है, जाती-धर्म से ऊपर उठ कर अब शिक्षा-सुरक्षा-विकास की राजनीती चल पड़ी है । युगऋषि अनुसार अब वो दिन भी दूर नहीं जब भारत के कोने-कोने से अच्छे-सज्जन लोग राजनीती में प्रवेश करेंगे और राष्ट्र की दिशा निर्धारण करेंगे । इसी गणतंत्र से भारत को सोने की चिड़िया बनाएंगे । पैसा, जमीन और प्राकृतिक सम्पदा किसी की व्यक्तिगत पूँजी नहीं रह पायेगी; इन सबका सामाजीकरण होगा । पहले पैसे का राष्ट्रीयकरण हुआ Nationalized Banks द्वारा, जिससे सेठ-साहूकार-जमींदार-राजामहाराजा ख़त्म हुए और अब समय आएगा पैसे के सामाजीकरण का, जिससे अपराध-भ्रष्टाचार द्वारा पैसे कमाना और कालाधन, पूर्ण समाप्त होजायेगा ।
परन्तु भारत को विश्वगुरु बनाने का कार्य अध्यात्म और शिक्षा के बल पर संभव है, और वह होगा 'बौद्धिक क्रांति, नैतिक क्रांति, सामाजिक क्रांति' के आधार पर। यह जिम्मेदारी हर युगसैनिक की है, कि वो युगसंग्राम के इस विशेष समय में किसी उपाहोह-उलझन में ना रहे । जितना प्रखर हमारा आत्मनिर्माण होगा, उतना तीव्र हमसे युगनिर्माण होगा। अपने साधना-स्वाध्याय-संयम का स्तर बढ़ाएंगे और समयदान-अंशदान-श्रमदान में नियमित रहेंगे तो अपनेआप हमारा युगनिर्माण का स्तर ऊँचा उठ जायेगा । बड़ी योजना नहीं जरूरत है बड़े व्यक्तित्व की। बड़ा काम अपनेआप होता चला जायेगा । हमारे हर प्रचारात्मक-रचनात्मक कार्य का उद्देश निर्माण होना चाहियें उससे कम कुछ भी नहीं । विशेष समय में विशेष पराक्रम दिखाएँ, ईश्वर के दिव्य अनुदान पाएँ ॥
॥ ॐ शांतिः ॥